Bhrigu Temple

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भृगु मंदिर बलिया का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ पर भृगु बाबा और उनके शिष्य दर्दर की प्रतिमा है। इस मंदिर की ईमारत लगभग 100 वर्ष पुरानी है। इसके पहले जो मंदिर था वो गंगा में समाहित हो गया था । यह मंदिर बलिया रेलवे स्टेशन से लगभग 2km दूरी पर स्थित है।

महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे और सप्तऋषियों में से एक थे । उन्होंने भृगु संहिता की रचना की थी, जो की ज्योतिष का एक महान ग्रन्थ है। एक प्रसंग ऐसा है जिसके अनुसार, समस्त ऋषियों ने एकत्रित हो कर भृगु जी को ये कार्य सौंपा कि वो इस बात का पता लगाएं कि देवताओं में सबसे ज़्यादा पूज्यनीय कौन है। भृगु जी ने ब्रहा जी, विष्णु जी और शिव जी तीनो को अनुचित अवस्था में पाया था और तीनों को परीक्षा में अनुतीर्ण कर दिया था। परन्तु जब भृगु जी ने विष्णु भगवान को सीने लात मारी तब भी उन्होंने ने भृगु जी के पांवो को सहलाते हुए क्षमा याचन कि और कहा था कि कहीं आपको चोट तो नहीं लगी। इस विनम्रता से प्रसन्न होकर ही विष्णु भगवान को सबसे पूज्यनीय घोषित कर दिया। परन्तु विष्णु भगवान को लात मारने का प्रायश्चित तो भृगु जी को तो करना ही था। भगवान विष्णु ने काठ कि छड़ी उनको दी कहा कि आपके के जहाँ जाने पे ये छड़ी हरी हो जायेगी, वही आपका प्रायश्चित पूर्ण होगा। विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए भृगु मुनि बलिया पहुंचे और वहां गंगा किनारे अपनी छड़ी गाड़ दी और तुरंत छड़ी हरी हो गयी। तब इस स्थान पर भृगु बाबा ने घोर तपस्या कि और यह क्षेत्र भृगु क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

वैसे तो श्रद्धालु साल भर यहाँ आते रहते है, परन्तु कार्तिक महीने में बहुत भीड़ होती है। यहाँ पर भक्तों कि हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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